अर्द्ध निर्मित एंव अर्द्ध अनिर्मित गर्भस्थ-भ्रूण
अगर ‘मज़ग़ह‘ की अवस्था पर 'गर्भस्थ-भ्रूण' बीच से काटा जाए और उसके अंदरूनी भागों का अध्ययन किया जाए तो हमें स्पष्ट रूप से नज़र आएगा कि (मज़ग़ह के भीतरी अंगों में से) अधिकतर पूरी तरह बन चुके हैं, जब कि शेष अंग अपने निर्माण के चरणों से गुज़र रहे हैं। प्रोफ़ेसर जौंस का कहना है कि अगर हम पूरे गर्भस्थ-भ्रूण को एक सम्पूर्ण अस्तित्व के रूप में बयान करें तो हम केवल उसी हिस्से की बात कर रहे होंगे जिसका निर्माण पूरा हो चुका है और अगर हम उसे अर्द्ध निर्मित अस्तित्व कहें तो फिर हम गर्भस्थ-भ्रूण के उन भागों का उदाहरण दे रहे होंगे जो अभी पूरी तरह से निर्मित नहीं हुए बल्कि निर्माण की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि उस अवसर पर गर्भस्थ-भ्रूण को क्या सम्बोधित करना चाहिये? सम्पूर्ण अस्तित्व या अर्द्ध निर्मित अस्तित्व। गर्भस्थ-भ्रूण के विकास की इस प्रक्रिया के बारे में जो व्याख्या हमें पवित्र क़ुरआन ने दी है उससे बेहतर कोई अन्य व्याख्या सम्भव नहीं है। पवित्र क़ुरआन इस चरण को ‘अर्द्ध निर्मित अर्द्ध अनिर्मित' की संज्ञा देता है। निम्न्लिखित आयतों का आशय देखिए