इतनी संख्या में रसूल क्यों आए?
अल्लाह तआला ने आरंभ काल से ही रसूल भेजने का सिलसिला जारी रखा, ताकि लोगों को उनके पालनहार की ओर बुलाएँ और उनको अल्लाह के आदेश तथा निषेध पहुँचाएँ। तमाम रसूलों के आह्वान का सार था; एक सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह की इबादत। जब भी किसी समुदाय ने अपने रसूल की शिक्षा को छोड़ना या उसे बिगाड़ना शुरू किया, अल्लाह ने सुधार तथा एकेश्वरवाद एवं अनुसरण का मार्ग दिखाने के लिए दूसरा रसूल भेज दिया। इस सिलसिले का अंत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर किया, जो एक संपूर्ण दीन और क़यामत के दिन तक पैदा होने वाले तमाम लोगों के लिए एक शास्वत और पहले की तमाम शरीयतों के लिए पूरक एवं उनको निरस्त करने वाली शरीयत लेकर आए, जिसे क़यामत के दिन तक निरंतर रूप से बाक़ी रखने की गारंटी अल्लाह तआला ने दी है।
यही कारण है कि हम मुसलमान अल्लाह के आदेश का पालन करते हुए तमाम रसूलों एवं पिछली तमाम किताबों पर विश्वास रखते हैं।
अल्लाह तआला ने कहा है :
﴿ءَامَنَ ٱلرَّسُولُ بِمَاۤ أُنزِلَ إِلَیۡهِ مِن رَّبِّهِۦ وَٱلۡمُؤۡمِنُونَۚ كُلٌّ ءَامَنَ بِٱللَّهِ وَمَلَـٰۤىِٕكَتِهِۦ وَكُتُبِهِۦ وَرُسُلِهِۦ لَا نُفَرِّقُ بَیۡنَ أَحَدࣲ مِّن رُّسُلِهِۦۚ وَقَالُوا۟ سَمِعۡنَا وَأَطَعۡنَاۖ غُفۡرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَیۡكَ ٱلۡمَصِیرُ﴾ (रसूल उस चीज़ पर ईमान लाए, जो उनकी तरफ़ उनके पालनहार की ओर से उतारी गई तथा सब ईमान वाले भी। हर एक अल्लाह और उसके फ़रिश्तों और उसकी पुस्तकों और उसके रसूलों पर ईमान लाया। (वे कहते हैं :) हम उसके रसूलों में से किसी एक के बीच अंतर नहीं करते। और उन्होंने कहा : हमने सुना और हमने आज्ञापालन किया। हम तेरी क्षमा चाहते हैं ऐ हमारे पालनहार! और तेरी ही ओर लौटकर जाना है।)
[2: 285]. [2 : 285]