इस्लाम क्या है?
इस्लाम नाम है, एकेश्वरवाद के मार्ग पर चलते हुए सर्वशक्तिमान अल्लाह के प्रति समर्पण, आज्ञाकारिता का प्रमाण देते हुए उसके आगे सिर झुकाने तथा सहमति एवं स्वीकृति के साथ उसकी शरीयत का पालन करने का।
अल्लाह ने तमाम रसूलों को एक ही संदेश के साथ भेजा। वह संदेश है, किसी को साझी बनाए बिना बस एक अल्लाह की इबादत का आह्वान।
इस्लाम ही तमाम नबियों का दीन है। उनका आह्वान एक है और शरीयतें अलग-अलग। आज केवल मुसलमान ही तमाम नबियों के लाए हुए सही धर्म का पालन करते हैं। आज इस्लाम का संदेश ही सच्चा संदेश है। क्योंकि जिस पालनहार ने इबराहीम, मूसा और ईसा अलैहिमुस्सलाम को भेजा था, उसी ने अंतिम रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को भेजा है और इस्लामी शरीयत पहली तमाम शरीयतों को निरस्त करने वाली शरीयत के तौर पर आई है।
आज लोग इस्लाम के सिवा जितने भी धर्मों का पालन करते हैं, सब या तो मानव निर्मित धर्म हैं या फिर आकाशीय धर्म थे, लेकिन इन्सानी हाथों का खिलौना बन गए, जिसके कारण पाखंडों का ढेर और किदवंतियों एवं मानवीय प्रयासों का मिश्रण हो गए। जबकि मुसलमानों का धर्म परिवर्तनों से सुरक्षित एवं एक स्पष्ट धर्म है। ज़रा पवित्र क़ुरआन पर ग़ौर करें। दुनिया के तमाम देशों में वह एक ही किताब के रूप में पाया जाता है।
उच्च एवं महान अल्लाह ने क़ुरआन में कहा है :
قُلْ آمَنَّا بِاللَّهِ وَمَا أُنْزِلَ عَلَيْنَا وَمَا أُنْزِلَ عَلَى إِبْرَاهِيمَ وَإِسْمَاعِيلَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ وَالْأَسْبَاطِ وَمَا أُوتِيَ مُوسَى وَعِيسَى وَالنَّبِيُّونَ مِنْ رَبِّهِمْ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِنْهُمْ وَنَحْنُ لَهُ مُسْلِمُونَ (84) (ऐ रसूल!) आप कह दें : हम अल्लाह पर ईमान लाए और उसपर जो हमपर उतारा गया, और जो इबराहीम, इसमाईल, इसह़ाक़, याक़ूब तथा उनकी संतान पर उतारा गया, और जो मूसा तथा ईसा और दूसरे नबियों को उनके पालनहार की ओर से दिया गया। हम इनमें से किसी एक के बीच अंतर नहीं करते और हम उसी (अल्लाह) के आज्ञाकारी हैं।وَمَنْ يَبْتَغِ غَيْرَ الْإِسْلَامِ دِينًا فَلَنْ يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِي الْآخِرَةِ مِنَ الْخَاسِرِينَ 85). और जो इस्लाम के अलावा कोई और धर्म तलाश करे, तो वह उससे हरगिज़ स्वीकार नहीं किया जाएगा और वह आख़िरत में घाटा उठाने वालों में से होगा।
[3 : 84, 85]