निर्णय लेने में देर मत करो!
दुनिया हमेशा रहने की जगह नहीं है ...
इसकी सारी चमक-दमक और माया-मोह के दिए बुझ जाने हैं ...
और बहुत जल्द वह दिन आने वाला है, जब आप को किए हुए हर अमल का जवाब देना होगा। वह दिन क़यामत का दिन होगा। उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है :
{وَوُضِعَ الْكِتَابُ فَتَرَى الْمُجْرِمِينَ مُشْفِقِينَ مِمَّا فِيهِ وَيَقُولُونَ يَا وَيْلَتَنَا مَالِ هَذَا الْكِتَابِ لاَ يُغَادِرُ صَغِيرَةً وَلاَ كَبِيرَةً إِلاَّ أَحْصَاهَا وَوَجَدُوا مَا عَمِلُوا حَاضِرًا وَلاَ يَظْلِمُ رَبُّكَ أَحَدًا} (और किताब सामने रख दी जाएगी, तो आप अपराधियों को देखेंगे कि जो कुछ उसमें होगा, उससे डरने वाले होंगे और कहेंगे : हाय हमारा विनाश! यह कैसी किताब है, जो न कोई छोटी बात छोड़ती है न बड़ी, परंतु उसने उसे संरक्षित कर रखा है। तथा उन्होंने जो कर्म किए थे, सब अंकित पाएँगे। और आपका पालनहार किसी पर अत्याचार नहीं करेगा।)
[18 : 49]
सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह ने बता दिया है कि इस्लााम ग्रहण न करने वाले को अनंत काल तक जहन्नम की आग में जलना पड़ेगा।
इसलिए नुक़सान छोटा-मोटा नहीं,
बल्कि बहुत बड़ा है।
{وَمَن يَبْتَغِ غَيْرَ الْإِسْلَامِ دِينًا فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِي الْآخِرَةِ مِنَ الْخَاسِرِينَ } (और जो इस्लाम के अलावा कोई और धर्म तलाश करे, तो वह उससे हरगिज़ स्वीकार नहीं किया जाएगा और वह आख़िरत में घाटा उठाने वालों में से होगा।)
[3 : 85]
इस्लाम ही वह धर्म है, जिसके अतिरिक्त किसी धर्म को अल्लाह स्वीकार नहीं करता।
वह अल्लाह, जिसने हमें पैदा किया, हमें उसी की ओर लौटकर जाना है और यह दुनिया हमारी परीक्षा की जगह है।
इस बात का यक़ीन रखें कि यह दुनिया बहुत छोटी है। जैसे एक स्वप्न हो। कोई नहीं जानता कि कब उसकी मौत आ जाए।
ऐसे में आपका जवाब क्या होगा, जब क़यामत के दिन आपका रचयिता आप से पूछेगा : तुमने सच्चे धर्म का पालन क्यों नहीं किया? अंतिम नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण क्यों नहीं किया?
ऐसे में आप क़यामत के दिन अपने रब को क्या जवाब देगे? हालाँकि आपके पालनहार ने आपको इस्लाम को ठुकराने के परिणाम से अवगत कर दिया था और बता दिया था कि इस्लाम को ग्रहण न करने वालों का ठिकाना जहन्नम होगा, जहाँ उनको अनंत काल तक रहना है।
अल्लाह तआला ने कहा है :
﴿وَالَّذِينَ كَفَرُوا وَكَذَّبُوا بِآيَاتِنَا أُولَئِكَ أَصْحَابُ النَّارِ هُمْ فِيهَا خَالِدُونَ﴾ (तथा जिन्होंने कुफ़्र किया और हमारी आयतों को झुठलाया, वही लोग आग (जहन्नम) वाले हैं। वे उसमें हमेशा रहने वाले हैं।)
[2: 39]. [2 : 39]