परमेश्वर की क्षमता और उनकी महानता के सबूत
अल्लाह सर्वशक्तिमान ने नास्तित्व से अपने उपासकों को पैदा किया और उन्हें अपने उपहारों से सम्मानित किया, और उनसे पीड़ा और विपरीत परिस्थितियों को टाला, और शुद्ध हृदय सदा उस से प्यार करता है और चाहता है जो उसे सहायता देता है और उस पर कृपा करता है lऔर आत्माओं को अपने पालनहार को पहचानने की ज़रूरत भोजन और पानी बल्कि सांस से भी अधिक हैlऔर न ही इस दुनिया में कोई खुशी मिल सकती है और न आखिरत का कोई सुख मिल सकता है मगर उसकी परिचय, प्यार और पूजा के माध्यम से ही lऔर जो उसे ज़ियादा जानते हैं वही सबसे ज़ियादा उसपर विश्वास रखते हैं और वे अधिक से अधिक उसकी पूजा करते हैं, याद रहे कि हार्दिक उपासना शारीरिक उपासना से अधिक महत्वपूर्ण, क्योंक हार्दिक उपासना अधिक देर तक रहनेवाली और अधिक बेहतर है lऔर हार्दिक उपासना तो हर समय आवश्यक है और शारीरिक उपासना तो वास्तव में हृदय को ही शुद्ध करने के लिए अनिवार्य हुई है ताकि अल्लाह की उपासना भी हो और दिल भी शुद्ध रहे l
इब्न अल-क़य्यिम -अल्लाह उनपर दया करे- इस विषय में कहते हैं: "अल्लाह अपने बन्दे को उसी दर्जा पर रखता है जहां बन्दा ख़ुद अपने को रखता है lऔर जब दास अपने पालनहार को पहचान लेता है तो उस से उसके हृदय को शांति मिल जाती है और उसकी आत्मा को चैन मिल जाता है lऔर जिसे अल्लाह के बारे में और उसके गुण के बारे में अधिक जानकारी होगी तो उसका विश्वास अधिक स्वस्थ और मजबूत होगा और ऐसा व्यक्ति उससे ज़ियादा डरनेवाला होगा l
और लोगों में सब से पूर्ण रूप से उसकी उपासना वही करता है जो अल्लाह सर्वशक्तिमान को उसके सभी पवित्र नामों और विशेषताओं पर ध्यान रख कर श्रद्धा और तपस्या करता हैlऔर अल्लाह -सर्वशक्तिमान- के बहुत सारे सुंदर नाम हैं lउसके सारे नामों से प्रशंसा ही प्रशंसा और स्तुति ही स्तुतिटपकती है और बड़ाई ही बड़ाई झलकती है l इसी तरह उसके सरे गुण उत्तम, बड़े और संपूर्ण हैं l
पैगंबर हज़रत मुहम्मद -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- जब रुकू के लिए नमाज़ में झुकते थे तो यह शब्द कहा करते थे :
)سبحان ذي الجبروت والملَكوت والكبرياء والعَظَمة(
(पवित्रता है उसके लिए जो शक्तिशाली, बड़ाईवाला, राज्यपाल, और शान रखनेवाला है l) (इसे नसाई ने उल्लेख किया है)
जी हाँ, हर गुण में वही पूर्ण है पैगंबर हज़रत मुहम्मद -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो- ख़ुद कहा करते थे:
)لا أُحصِي ثناءً عليك، أنت كما أثنيتَ على نفسك(
(मैं वैसी गिन गिन कर तेरी प्रशंसा नहीं कर सकता जिस तरह तूने ख़ुद अपनी प्रशंसा की है l) (इसे मुस्लिम ने उल्लेख किया है l)
आकाशों और धरती के सभी प्राणी अल्लाह सर्वशक्तिमान का गुण गाते हैं और हर दोष और कमी से उसे पाक ठहराते हैं, जैसा कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने फ़रमाया :
)سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ(]الحشر: [१
(अल्लाह की तसबीह की है हर उस चीज़ ने जो आकाशों और धरती में है l)[अल-हश्र: १] और सबके सब उसी के लिए सजदा में झुकते हैं lजैसा कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने शुभ क़ुरआन में फ़रमाया :
)وَلَهُ أَسْلَمَ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ طَوْعًا وَكَرْهًا)(آل عمران: (८३
(हालाँकि आकाशों और धरती में जो कोई भी है, स्वेच्छापूर्वक या विवश होकर उसी के आगे झुका हुआ है।)[आले-इमरान: ८३]
पैदा करने और आदेश चलाने का अधिकार केवल अल्लाह सर्वशक्तिमान के हाथ में ही है, जो भी बनाया है ख़ूब महारत से बनाया और जो भी पैदा किया है बिल्कुल अनोखा पैदा किया और सारी रचनाओं को हिसाब से पैदा किया । याद रहे अल्लाह सर्वशक्तिमान ने आकाशों और पृथ्वी को पचास हज़ार साल में बनाया(स्प्ष्ट रहे कि अल्लाह सर्वशक्तिमान तो “हो जा” कह कर यह सब को बना सकता था लेकिन वास्तव में अल्लाह सर्वशक्तिमान ने ऐसा इसलिए किया ताकि लोगों को यह पाठ मिल जाए कि कामों को आराम से करना चाहिए जल्दी जल्दी नहीं करना चाहिए ।) और अल्लाह सर्वशक्तिमान का शासन शासन है उस में किसी को साझेदारी नहीं है, उसके निर्णय को कोई रोकने और टालनेवाला नहीं है । और न उसके फैसले पर कोई उसका पकड़ करनेवाला है वह सदा से जीवित है और अमर है सारी रचना उसके हाथ के नीचे और उसके क़ब्ज़े में है । वही उन्हें मारता और जिलाता है, वही उन्हें रुलाता और हंसाता है, वही उन्हें ग़रीब और धनवान करता है। और जैसा चाहता है उन्हें गर्भ में रूप देता है । इस विषय में अल्लाह सर्वशक्तिमान फ़रमाता है :
)مَا مِنْ دَابَّةٍ إِلَّا هُوَ آخِذٌ بِنَاصِيَتِهَا](هود: 56[
(चलने-फिरनेवाला जो प्राणी भी है, उसकी चोटी तो उसी के हाथ में है।)[हूड: ५६] उसे जैसे चाहता है चलाता है और लोगों के दिल उसकी उंगलियों के बीच में हैं जैसे चाहता है नचाता है और लोगों के माथे उसके हाथ में हैं जैसे चाहता है घुमता है और सारी चीज़ों के बागडोर उसके लिखे भाग और क़िस्मत से बंधे हैं, न कोई उससे उसका शासन छीन सकता है और न कोई उसे हरा सकता है ।
यदि पूरा राष्ट्र किसी को नुक़सान पहुंचाने पर तुल जाए और अल्लाह ने नुक़सान नहीं लिखा तो कोई उसे नुक़सान नहीं पहुंचा सकेगा और यदि सारे के सारे लोग उसे लाभ पहुंचाने पर तुल जाएं लेकिन वह लाभ अल्लाह सर्वशक्तिमान की इच्छा में न हो तो कोई उसे लाभ नहीं दे सकता है ।
यदि कोई दुर्घटना होनेवाली हो तो उसके सिवा कोई रोक नहीं सकता और यदि कोई मुसीबत घटनेवाली हो तो उसके सिवा कोई उसे टाल नहीं सकता है।वह जो चाहता है बनाता है और जो चाहता है करता है । वह अपने कामों पर किसी के सामने जवाबदेह नहीं है और सारे लोग उसके सामने जवाबदेह हैं । वह अपने आप है और अपनी रचना का मुहताज नहीं है । वह सब पर आदेश चलाता है, सारी अनदेखी और उन्सुनी की कुंजी उसी के पास है जिसे कोई नहीं जान सकता है बल्कि उसका ज्ञान तो फ़रिश्तों से भी छिपा है, इसलिए फ़रिश्ते भी यह नहीं जानते हैं कि कल कौन मरनेवाला है या ब्रह्माण्ड में क्या होनेवाला है ?
वह सब राजाओं का है जो अपने दासों का काम बनाता है। वही आदेश देता है और हुक्म चलाता है, वही देता है और वही रोकता है, वही ऊँचा करता है और वही नीचा करता है ।हर समय और हर घड़ी उसके आदेश आते रहते हैं, उसकी इच्छा और इरादे के अनुसार उसका शासन चलता है । जो चाहा हुआ और जो नहीं चाहा नहीं हुआ । अल्लाह सर्वशक्तिमान इस विषय में फ़रमाता है :
(يسْأَلُهُ مَنْ فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ كُلَّ يَوْمٍ هُوَ فِي شَأْنٍ]الرحمن: 29[
(आकाशों और धरती में जो भी है उसी से माँगता है। उसकी हर रोज़ नित्य नई शान है ।)[अर-रहमान: २९].
और उसकी शानों में यह शामिल है कि किसी को संकट से छुटकारा दिलाता है , और टूटे दिल को सहायता देता है, और गरीबको अमीर बनाता है और प्रार्थना को स्वीकार करता है । अल्लाह सर्वशक्तिमान फ़रमाता है :
)وَمَا كُنَّا عَنِ الْخَلْقِ غَافِلِينَ](المؤمنون: 17[
(और हम सृष्टि-कार्य से ग़ाफ़िल नहीं ।)[अल-मोमिनून:१७].
उसका ज्ञान सब को अपने दामन में समेटा है, वह उसे भी जानता है जो हुआ है और उसे भी जानता है जो अभी नहीं हुआ है, उसकी अनुमति के बिना कोई तिनका भी नहीं हिलता है । उसकी अनुमति के बिना कोई पत्ता भी नहीं हिलता है ।कोई रहस्य उसपर छिपा नहीं है ।बल्कि उसके पास तो गुप्त और खुला दोनों बराबर है ।अल्लाह सर्वशक्तिमान का फ़रमान है :
)سَوَاءٌ مِنْكُمْ مَنْ أَسَرَّ الْقَوْلَ وَمَنْ جَهَرَ بِهِ وَمَنْ هُوَ مُسْتَخْفٍ بِاللَّيْلِ وَسَارِبٌ بِالنَّهَارِ]الرعد: 10[
(तुममें से कोई चुपके से बात करे और जो कोई ज़ोर से और जो कोई रात में छिपताहो और जो दिन में चलता-फिरता दीख पड़ता हो उसके लिए सब बराबर है।) [अर-रअद: १०]
वह सबकी आवाज को सुनता है, हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- फरमाती हैं: उसके सुनने की क्षमता सारी आवाज़ों को सुन लेती है। वह आगे फ़रमाती हैं: जब बहस करनेवाली महिला हज़रत पैगंबर-उन पर ईश्वर की कृपा और सलाम हो-के पास आई, वह उनसे बात कर रही थी और मैं घर के एक कोने में थी, वह जो बात कर रही थी वह मैं नहीं सुन पा रही थी । हज़रत आइशा-अल्लाह उनसे प्रसन्न रहे- आगे कहती हैं: इसी बारे में अल्लाह सर्वशक्तिमान ने यह आयत उतारी:
)قَدْ سَمِعَ اللَّهُ قَوْلَ الَّتِي تُجَادِلُكَ فِي زَوْجِهَا]المجادلة: [१
(अल्लाह ने उस स्त्री की बात सुन ली जो अपने पति के विषय में तुमसे झगड़ रही है।)[मुजादिलह:१]
उसपर लोगों के कार्य घटाटोप रात के अंधेरे में भी नहीं छिपता है । अल्लाह सर्वशक्तिमान फ़रमाता है :
)الَّذِي يَرَاكَ حِينَ تَقُومُ ,وَتَقَلُّبَكَ فِي السَّاجِدِينَ[الشعراء: 218، 219]
(जो तुम्हें देख रहा होता है, जब तुम खड़े होते हो, और सजदा करनेवालों में तुम्हारे चलत-फिरत को भी वह देखता है।) [अश-शुअरा: २१८, २१९] वह तो अंधेरी रात में काली चट्टान पर काली चींटी को भी देख लेता है ।
उसके ख़ज़ाने आकाश और पृथ्वी दोनों में भरे हैं , और उसके दोनों हाथ उदारता के लिए खुले हैं, वह रात और दिन बल्कि सदा उदार है जैसे चाहता है खर्च करता है, बड़ा दाता और बड़ा उदार है, मांगने पर बल्कि मांगने से पहले देता है, हर रात जब रात का तीसरा भाग आता है तो वह पहले आकाश पर दया का प्रकाश डालता है और कहता है : है कोई मांगनेवाला? कि दूँ, और यदि उससे नहीं मांगता है तो वह उस पर क्रोधित होता है ।
उसने अपने दरवाज़ों को अपनी प्राणियों के लिए खोल रखा है, उसने समुद्रों को मनुष्य के क़ाबू में दिया, और नदियों को बहाया और सबकी रोज़ी का आयोजन किया, और सारी प्राणियों तक उनकी रोज़ी पहुंचाई, चींटी को धरती के भीतर रोज़ी दिया और पक्षियों को हवा में भोजन दिया और मछलियों को पानी में रोज़ी दिया , अल्लाह सर्वशक्तिमान फ़रमाता है :
)وَمَا مِنْ دَابَّةٍ فِي الْأَرْضِ إِلَّا عَلَى اللَّهِ رِزْقُهَا]هود: 6[
(धरती में चलने-फिरनेवाला जो प्राणी भी है उसकी रोज़ी अल्लाह के ज़िम्मे है।)[हूड: ६] उसकी रोज़ी सबको काफी है , उसने भ्रूण को उसकी माँ के गर्भ में रोज़ी का आयोजन किया और मजबूत और शक्तिशाली को भी रोज़ी दिया, वह अत्यंत उदार है और उदारता और दानशीलता को चाहता है, यदि उससे माँगा जाता है तो दे देता है, और यदि उसे छोड़ कर दूसरे से माँगा जाए तो उसपर क्रोधित होता है, जो जो भी भलाई यहाँ है वह उसी से है । जैसा कि शुभ क़ुरआन में आया है ।
)وَمَا بِكُمْ مِنْ نِعْمَةٍ فَمِنَ اللَّهِ]النحل: 53[
(तुम्हारे पास जो भी नेमत है वह अल्लाह ही की ओर से है।)[अन-नहल: ५३].
उसके पास रोज़ी में कमी नहीं होती है, पैगंबर हज़रत मुहम्मद -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो-ने फ़रमाया: “क्या तुम देखते नहीं कि जब से आकाशों और पृथ्वी को बनाया खर्च कर रहा है लेकिन जो उसके पास है उसमें कोई कमी नहीं हुई है।”यह मुस्लिम द्वारा उल्लेख की गई ।
और यदि सभी लोग उससे मांगें और वह उनकी सारी मांगों को पूरी करे तब भी उसके राज्य में कोई कमी नहीं होगी । और आप -उन पर इश्वर की कृपाऔर सलाम हो-ने फ़रमाया: अल्लाह सर्वशक्तिमान ने फ़रमाया : ऐ मेरे दासो! यदि तुम्हारे अगले और पिछले, तुम्हारे मनुष्य और जिन्नात, सब के सब एक मैदान में खड़े हो जाएँ और मुझ से मांगें और मैं सारे की मांग पूरी करूँ तो भी मेरे पास जो है उसमें कुछ कमी नहीं होगी मगर केवल उतना जितना कि समुद्र में सोई डालने से कमी होती है । (मतलब जब सोई समुद्र में रखी जाए तो सोई में पानी लगकर समुद्र के पानी में जितनी कमी हो सकती है ।) यह मुस्लिम द्वारा उल्लेख की गई ।
और अल्लाह सर्वशक्तिमान अच्छे कार्य पर कई गुना इनाम देता है, यदि कोई एक भलाई करता है तो उसपर दस गुना उसका इनाम देता है बल्कि सात सौ गुना तक भी उसका इनाम पहुँच जाता है, व्यक्ति के इरादे में पवित्रता के हिसाब से कई कई गुना बढ़ कर इनाम पाता है, और वह आज्ञाकारिता के एक छोटे से समय को बहुत बढ़ा देता है, जैसे शबेक़दर एक हज़ार महीने से बेहतर है, (शबेक़दर रमज़ान के महीने के अंतिम दस रातों में से कोई एक रात है जिसमें इबादत और अच्छा काम करना हज़ार महीने में इबादत करने से बेहतर है ।) और हर महीने के तीन दिन के रोज़े पूरे ज़माने के रोज़े के बराबर है । अगर कोई व्यक्ति अपने पालनहार को प्रसन्न करने के लिए अपना धन खर्च करता है तो अल्लाह उसके बदले में कई कई गुना बढ़कर उसे वापस देता है ।
उसकी उदारता ऐसी है कि वह कल्पना से भी बढ़कर देता है , स्वर्गीय लोगों के लिए ऐसे ऐसे इनाम रखे जिसे न किसी आंख ने देखा और न किसी कान ने सुना बल्कि जो न किसी मनुष्य के कल्पना में आया ।यदि कोई व्यक्ति अल्लाह के लिए किसी चीज़ को त्याग देता है तो वह उसे उससे अच्छा देता है ।
उसे किसी की ज़रूरत नहीं है, लेकिन सारी चीज़ों को उसकी ज़रूरत है ।अल्लाह सर्वशक्तिमान का फ़रमान है:
)يَا أَيُّهَا النَّاسُ أَنْتُمُ الْفُقَرَاءُ إِلَى اللَّهِ وَاللَّهُ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيدُ]فاطر: 15[
(ऐ लोगो! तुम्ही अल्लाह के मुहताज हो और अल्लाह तो निस्पृह, स्वप्रशंसित है ।)[फ़ातिर: १५] न लोग उसे कुछ लाभ पहुंचा सकते हैं कि लाभ पहुंचाएं और न कुछ नुक़सान पहुंचा सकते हैं कि नुक़सान पहुंचाएं, वह बहुत बड़ाईवाला और अत्यंत महान है, उसका राज्य सब पर है, आकाश और पृथ्वी सब उसकी हुकूमत की कुरसी के नीचे हैं बल्कि सातों आकाश उसकी हुकूमत की कुर्सी के नीचे ऐसे हैं जैसे सात मुद्र एक &#